सोमवार, 13 अप्रैल 2009

कुछ सोंचो

नमस्कार मैं कोई बहुत बड़ा लेखक नहीं हूँ साहित्य कार नहीं हूँ और ना ही कोई बड़ा नेता या दार्शनिक, मैं वो हूँ जो दुनिया में हो रही उथल पुथल को महसूश करता है , और उससे सीधा जुडाहुआ है , मैं वो हूँ जिसका कलेजा भारत पाकिस्तान सीमा पर मारे जाने वाले निरीह लोगो की चीखो से फटता है मैं वो हूँ जो अफगान सीमा पर मारे जाने वाले बुजुर्गो और बच्चो की मौत पर मातम मनाता है मैं वो भी हूँ जो विभिन्न शरणार्थी शिविरों में अपने आस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है मैं वो हूँ जो अपनी आँखों के सामने तिब्बत को बर्बाद होते हुए देखते हुए निश्चल और शांत अंशू वहा रहा हूँ \मैं वो हूँ जो रुश में, वितनाम में, उत्तरी और दक्ष्नि कोरिया में,फिलिस्तीन और येरुसलम में ,चाइना और तइवान में ,भारत और बंगला देश में अपने आप बनाई हुई लाइन ओफ कंट्रोल पर झगड़ते हुए रोज शहीद होता हूँ और अपने पीछे छोड़ जाता हूँ विलखते हुए अनाथ माँ बाप भाई बहन और पत्नी